दुःखी आशा से ईश्वर में भक्ति रखता है, सुखी भय से ।
दुःखी पर जितना ही अधिक दुःख पड़े, उसकी भक्ति बढ़ती जाती है ।
सुखी पर दुःख पड़ता है, तो वह विद्रोह करने लगता है ।
वह ईश्वर को भी अपने धन के आगे झुकाना चाहता है ।
दुःखी आशा से ईश्वर में भक्ति रखता है, सुखी भय से ।
दुःखी पर जितना ही अधिक दुःख पड़े, उसकी भक्ति बढ़ती जाती है ।
सुखी पर दुःख पड़ता है, तो वह विद्रोह करने लगता है ।
वह ईश्वर को भी अपने धन के आगे झुकाना चाहता है ।